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स्थानशोधनी

अत्यंत महत्वपूर्ण पंथीय स्थानांचा पुराव्यांसहित सचित्र आलेख…

बृहत्‌ स्थानशोधनी

नित्यं यत्प्रभुसत्तयैतदसृजच्छक्तिः परा चाहरत्

विश्वं यतकृतिसंस्थितिं नु पटवो भक्तुं न विश्वेश्वराः

भेजुर्निर्गुणमीश्वरं गुणगणायानंतशक्तिः सदा

भक्ता यद्रतिमाप्नुवनिरूपमामानंदमीशं नुमः ।।१।।

                                                            -रत्नमाला 

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